जम्मू के अखनूर सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर सोमवार को आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच आठ घंटे तक चली गोलीबारी में भारतीय सेना का जाबांज डॉग फैंटम शहीद हो गया. गोलीबारी सुबह करीब सात बजे शुरू हुई. दरअसल, आतंकवादियों ने जम्मू शहर से लगभग 85 किलोमीटर दूर अखनूर खुर के बैटल एरिया में सेना के काफिले में शामिल एक एम्बुलेंस पर हमला कर दिया, जिसके बाद सेना ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया.
व्हाइट नाइट कॉर्प्स ने ट्वीट कर कहा, ‘जब हमारे सैनिक फंसे हुए आतंकवादियों के करीब पहुंच रहे थे, तो फैंटम ने दुश्मन की गोलीबारी का सामना किया, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं. उसके साहस, निष्ठा और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा. चल रहे ऑपरेशन में एक आतंकवादी को मार गिराया गया है और गोला-बारूद बरामद किया गया है.’
डॉग फैंटम के सर्वोच्च बलिदान को सलाम!
डॉग फैंटम का जन्म 25 मई 2020 को हुई थी. वह बेल्जियन मालिनोइस ब्रीड का था, जिसे विशेष रूप से असॉल्ट डॉग के रूप में ट्रेनिंग दी गई. अधिकारियों ने बताया कि उसे 12 अगस्त 2022 को तैनात किया गया था और उसे मेरठ के आरवीसी सेंटर से इश्यू किया गया था. सेना के कुत्तों को ऐसे गैजेट से लैस किया जाता है जो उन्हें दुश्मन के ठिकानों पर नजदीकी दूरी से जासूसी करने की अनुमति देते हैं. भारतीय सेना के एक अधिकारी ने कहा कि हम अपने सच्चे हीरो एक बहादुर भारतीय सेना के डॉग फैंटम के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं.
ऐसा संदेह है कि सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में तीन आतंकवादी शामिल थे. मुठभेड़ में मारा गया एकमात्र आतंकवादी सेना की कॉम्बेट वर्दी जैसे कपड़े पहने हुए था. अधिकारियों का मानना है कि यह आतंकवादी जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी समूह से जुड़ा हुआ था.
घाटी में दहशतगर्दों ने मचा रखा है आतंक
जम्मू-कश्मीर में पिछले दो सप्ताह में आठ आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें एक दर्जन से अधिक लोग मारे गए हैं. 24 अक्टूबर को राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों और नागरिक कुलियों का एक काफिला अफरावत रेंज में नागिन पोस्ट की ओर जा रहा था, जब आतंकवादियों ने गुलमर्ग से लगभग 6 किलोमीटर दूर बोटापाथरी के पास सेना के दो ट्रकों पर हमला किया. इस हमले में दो सैनिक और दो लोगों की मौत हो गई थी. 20 अक्टूबर को गांदरबल जिले के सोनमर्ग में एक निर्माण स्थल पर आतंकवादियों ने सात लोगों की हत्या कर दी थी. पीड़ितों में एक डॉक्टर और छह प्रवासी मजदूर शामिल थे. इसके अलावा, दो दिन पहले बिहार के एक अन्य प्रवासी मजदूर पर भी हमला किया गया था.