शपथ लेने से पहले सांसद को मिल जाते हैं ये अधिकार

 

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी आज लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. उनके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों को भी आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी. देश के संविधान में सांसदों द्वारा शपथ लेना अनिवार्य बताया गया है. इसके बाद ही मंत्रियों को व्यापक अधिकार मिलते हैं. लेकिन कुछ अधिकार ऐसे होते हैं जो जनता के चुने हुए सांसदों को शपथ लेने से पहले ही मिलने लग जाते हैं. आइए जानते हैं वो क्या है.

चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद, रिटर्निंग ऑफिसर रिजल्ट को केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और लोकसभा के सेक्रेटरी-जनरल को भेज देता है. इसके बाद निर्वाचन क्षेत्र के सफल उम्मीदवार को चुनाव का एक सर्टिफिकेट दिया जाता है. लोकसभा के बुलेटिन के मुताबिक, शपथ लेने और सदन में अपनी जगह लेने से पहले संसद के सदस्यों को चुनाव परिणाम के बाद मिला सर्टिफिकेट लोकसभा के सेक्रेटरी-जनरल को जमा करना होता है.

सदस्यों के पास शपथ से पहले कौन से अधिकार नहीं होते?

चुने हुए उम्मीदवारों के पास शपथ लेने से पहले सीमित अधिकार होते हैं. वो संसद की किसी बहस का हिस्सा नहीं बन सकते. यहां तक कि संसद की चर्चा में शामिल होने या संसद में कोई टिप्पणी करने का अधिकार भी उनके पास नहीं होता. संविधान के अनुच्छेद 99 में कहा गया है कि सदन में अपना स्थान लेने से पहले हर सदस्य को राष्ट्रपति या उनकी ओर से इस काम के लिए नियुक्त किए गए व्यक्ति के सामने शपथ लेनी पड़ती है.

अगर कोई शपथ लिए बगैर सदन की चर्चा या बहस में शामिल होता है तो उसे दंड देने का प्रावधान भी हमारे संविधान में है.अनुच्छेद 104 के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति अनुच्छेद 99 की आवश्यकताओं (शपथ लेने) को पूरा किए बगैर, या जानते हुए कि वह सदस्यता के लिए अयोग्य है या उसे विधि द्वारा ऐसा करने से प्रतिबंधित किया गया है, सदन में सदस्य के रूप में बैठता है या मतदान करता है तो उसे प्रत्येक दिन के हिसाब से 500 रुपए का जुर्माना देना होगा.’

शपथ से पहले सदस्यों के पास कौन से अधिकार होते हैं?

लोकसभा सचिवालय की ओर से 2014 में जारी की गई बुलेटिन के मुताबिक, चुने हुए उम्मीदवारों को शपथ से पहले ही ये अधिकार मिल जाते हैं-

  • रिटर्निंग ऑफिसर की तरफ से उसे निर्वाचित घोषित करने के बाद से ही वह व्यक्ति सदन का सदस्य बन जाता है.
  • लोकसभा के गठन हेतु चुनाव आयोग की अधिसूचना के छपने के बाद से ही व्यक्ति को एक सदस्य की सैलरी मिलनी शुरू हो जाती है.
  • बाकी किसी सदस्य की तरह ही, शपथ न लेने वाले सदस्य को सदन का स्पीकर या डिप्टी स्पीकर चुना जा सकता है.
  • ऐसे व्यक्ति को सदन की किसी समिति का हिस्सा बनाने के लिए उसे नोमिनेट या निर्वाचित किया जा सकता है. हालांकि, वो समिति के एक सदस्य के रूप में कोई काम नहीं कर सकता है.
  • वह संसद के दोनों सदनों को संबोधित राष्ट्रपति अभिभाषण में मौजूद रह सकता है.
  • वह खुद सदन में या उसकी तरफ से कोई और सवाल नहीं पूछ सकता. प्रस्ताव पेश करने का अधिकार भी नहीं होता.
  • अपनी सीट खाली होने से बचने के लिए सदन की बैठक से अनुपस्थिति की अनुमति मांगने का हकदार होता है.
  • सदन में अपनी सीट लेने या शपथ लेने से पहले वो अपनी सीट से इस्तीफा दे सकता है.

 

 

 

 

 

 

 

 

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