जम्मू-कश्मीर (मोहम्मद शफी): गांदरबल में हुए आतंकी हमले में 7 लोगों की मौत हुई थी. इस हमले में मारे गए आर्किटेक्ट शशि भूषण अबरोल के परिजनों ने बताया कि उनकी पत्नी ने करवाचौथ का व्रत रखा था और चंद्रमां दिखाई देने के बाद वो लगातार वीडियो कॉल करती रहीं, लेकिन उन्होंने कॉल नहीं लिया. वहीं 5-6 साल की बेटी ने रोते हुए कहा कि आतंकवादी बहुत गंदे हैं, उन्होंने मेरे पापा को मार दिया.
टनल में आर्किटेक्ट/डिजाइनर के रूप में काम कर रहे शशि की बेटी ने कहा, जब मम्मी पूजा के लिए तैयार हुई थीं, तब मेरी थोड़ी देर के लिए पापा से बात हुई थी. वो कह रहे थे कि क्या कर रही हो. मैंने कहा कुछ नहीं तो फिर मैंने फोन मम्मी को पकड़ा दिया. इस दौरान वो लगातार अपनी मम्मी से कहती रही है कि प्लीज मम्मा मत रो. उसके बाद उसने रोते हुए कहा, “आतंकवादी बहुत गंदे हैं, उन्होंने मेरे पापा को मार दिया.”
उनकी पत्नी ने कहा कि कल छह बजे उनसे बात हुई थी. वीडियो कॉल किया था. ऐसे ही बात हुई थी. उसके बाद कहा कि जब चंद्रमां दिखाई देगा, तब वीडियो कॉल करूंगी. फिर मैं पूरी रात कॉल करती रही, लेकिन उन्होंने कॉल ही नहीं उठाया. आतंकवादियों ने सबके घर उजाड़ दिए. उन्होंने कहा कि बच्चों की सेफ्टी के लिए सरकार से कहना चाहूंगी. इनके सिवा कोई नहीं है हमारा.
पत्नी के लिए सरकारी नौकरी की मांग-
इस दौरान उनके पिता ने सरकार से मांग की कि शशि भूषण की पत्नी को सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए क्योंकि अब घर में कोई कमाने वाला नहीं है. बच्चे क्या खाएंगे. उनके जीजा ने बताया कि करवाचौथ की पूजा करने जा रही थी उनकी पत्नी. जब वीडियो कॉल किया पूजा करने के लिए तो कॉल नहीं उठा. उसके बाद उसके एक दोस्त ने बताया कि ये हादसा हुआ है. उसको अस्पताल लेकर गए हैं. 7 साल से काम करते थे, आर्किटेक्ट हैं. इंजीनियर हैं. वहीं सरकारी मदद को लेकर कहा कि अब तक तो कोई आया ही नहीं है. उनकी एक बेटी और एक बेटा है.
कब हुआ था गांदरबल में आतंकी हमला?
गांदरबल के सोनमर्ग में निर्माणाधीण सुरंग की साइट पर रविवार रात को आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 7 कर्मचारियों की मौत हो गई थी. इस हमले में एक डॉक्टर और तीन गैर कश्मीरी मजदूर समेत 7 लोगों की जान चली गई, जबकि पांच अन्य घायल हो गए. ये हमला तब हुआ जब गांदरबल के गुंड में सुरंग परियोजना पर काम कर रहे मजदूर और अन्य कर्मचारी देर शाम अपने शिविर में लौट आए थे. इस अटैक के पीछे आतंकी संगठन TRF का हाथ बताया जा रहा है. लश्कर के मुखौटा संगठन टीआरएफ कई बार माइग्रेंट को निशाना बना चुका है.