लखनऊ, (आसिफ नवाज): उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए प्रदेश की महिला बंदियों को करवा चौथ मनाने का अवसर प्रदान करने का आदेश दिया है। उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष, डॉ. बबीता सिंह चौहान ने इस संबंध में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को एक अर्ध-शासकीय पत्र जारी किया है, जिसमें 20 अक्टूबर 2024 को पड़ने वाले करवा चौथ व्रत के आयोजन के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
महिला बंदियों के अधिकारों का संरक्षण-
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग (संशोधन अधिनियम 2013) की धारा 9 के अंतर्गत महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण और उनके हितों की रक्षा हेतु आयोग ने यह कदम उठाया है। आयोग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बंदीगृहों में निवास कर रही महिलाएं, जो अपने परिवार से दूर हैं, उन्हें भी करवा चौथ जैसे पारंपरिक और धार्मिक त्योहार मनाने का अवसर मिले। इस त्योहार का महिलाओं के लिए विशेष महत्व है, और इसे उनके पतियों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए मनाया जाता है।
करवा चौथ के आयोजन हेतु विशेष निर्देश-
महिला आयोग के इस निर्णय के अनुसार, प्रदेश के सभी महिला बंदीगृहों में आवासित महिलाओं के लिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वे अपने पतियों के साथ करवा चौथ मना सकें। इस संबंध में जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे पात्र महिला बंदियों के पतियों को बुलाएं और उनके साथ करवा चौथ का पारंपरिक आयोजन किया जाए। इसी के साथ, कारागार में निरुद्ध पुरुष बंदियों की पत्नियों को भी बुलाकर, उनके साथ त्योहार मनाने की व्यवस्था की जाए।
आयोग की पहल का उद्देश्य-
यह पहल महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण और संवेदनशीलता के साथ उनके साथ मानवीय व्यवहार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई है। आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता सिंह चौहान ने इस निर्णय पर जोर देते हुए कहा कि “महिलाओं के अधिकारों का सम्मान हर परिस्थिति में किया जाना चाहिए। चाहे वह बंदीगृह में हों या स्वतंत्र, सभी महिलाओं को समान धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकार प्राप्त होने चाहिए। करवा चौथ जैसे पर्व के आयोजन से बंदी महिलाओं को भी अपने परिवार और परंपराओं से जुड़े रहने का अवसर मिलेगा, जिससे उनमें सकारात्मक मानसिकता का विकास होगा।”
सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी-
आयोग द्वारा सभी जिलाधिकारियों को यह आदेश जारी किया गया है कि वे संबंधित अधिकारियों को निर्देश दें कि करवा चौथ के आयोजन की सारी व्यवस्थाएं समय पर की जाएं। इसमें महिला बंदियों के पतियों को बंदीगृह बुलाना, आवश्यक सुरक्षा प्रबंध करना, और पारंपरिक पूजा की सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराना शामिल है।