महराजगंज: तस्करी का गढ़ बना सीमावर्ती गांव, सफेदपोशों की शह पर बढ़ी अवैध गतिविधियां

तस्करी का गढ़ बना सीमावर्ती गांव

महराजगंज (आसिफ नवाज): जनपद महराजगंज के सोनौली थाना क्षेत्र के अंतर्गत स्थित केवटलिया, शेष फरेंदा गांव अवैध गतिविधियों और तस्करी का अड्डा बन चुका है। यहां से चीनी, ब्रान, कपड़ा, कबाड़ और मादक पदार्थों की तस्करी बड़े पैमाने पर की जा रही है। कुछ सफेदपोश इस धंधे में शामिल हैं, जो खुलेआम इन अवैध गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं। यह न केवल भारत की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी बेहद चिंताजनक स्थिति पैदा कर रहा है।

अवैध तस्करी का गढ़ बना केवटलिया, शेष फरेंदा-

सूत्रों के अनुसार, केवटलिया, शेष फरेंदा  गांव तस्करी की गतिविधियों का केंद्र बन चुका है। यहां से खाद्य वस्तुओं जैसे चीनी, ब्रान के अलावा, कपड़ा, कबाड़ तथा मादक पदार्थों की भी तस्करी की जा रही है। तस्करी का यह अवैध कारोबार लंबे समय से चल रहा है, और इसमें स्थानीय सफेदपोश लोगों की मिलीभगत बताई जा रही है। इन सफेदपोशो का इतना दबदबा है गाँव के भोले भाले लोगो के घरो में जबरन गोदाम बना रखा है जहा ये अपनी तस्करी का अवैध सामान रखते है. ये लोग अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर पुलिस और सुरक्षा बलों पर दबाव डालते हैं, जिससे उनके अवैध धंधे आसानी से चलते रहें।

पुलिस और एसएसबी नतमस्तक-

चौंकाने वाली बात यह है कि स्थानीय पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) इस तस्करी को रोकने में पूरी तरह से असफल साबित हो रहे हैं। इन सुरक्षा एजेंसियों की तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकामी के कारण अवैध तस्करी का धंधा तेजी से फल-फूल रहा है। 

भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती-

यह अवैध तस्करी न केवल आर्थिक दृष्टि से गंभीर है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा बन चुकी है। भारत-नेपाल सीमा से सटी इस जगह से होने वाली तस्करी के कारण देश की सीमाओं की सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं। जो कैरियर नेपाल जा रहे है और वापस आते हुए कौन-कौन से अवैध सामानों की आपूर्ति भारत में कर रहे है इस पर किसी की नजर नहीं है. 

आर्थिक प्रभाव-

इस तस्करी का एक और बड़ा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। चीनी, ब्रान और अन्य खाद्य पदार्थों के साथ कपड़े तथा कबाड़ की तस्करी से सरकार को राजस्व की हानि हो रही है। इसके अलावा, तस्करी के कारण स्थानीय व्यापार भी प्रभावित हो रहा है। जब अवैध तस्करी के जरिए वस्तुएं नेपाल भेजी जाती हैं, कस्टम ड्यूटी की चोरी से आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की निष्क्रियता-

स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की निष्क्रियता इस पूरे मामले को और भी गंभीर बना रही है। तस्करों के सामने पुलिस और एसएसबी की नाकामी ने तस्करी को बढ़ावा दिया है। इससे न केवल तस्करों के हौसले बुलंद हो रहे हैं, बल्कि अवैध गतिविधियों के लिए और भी नए रास्ते खुल रहे हैं।

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