घोर गरीबी में जी रहे 1.1 अरब लोग, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भारत का भी जिक्र; इन देशों में है भुखमरी

एक अरब से अधिक लोग गंभीर गरीबी में जी रहे हैं

संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित एक नई रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोग गंभीर गरीबी में जी रहे हैं, जिनमें से लगभग आधे लोग संघर्ष प्रभावित देशों में हैं। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा गुरुवार को जारी बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index) में ये बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि युद्धग्रस्त देशों में पोषण, बिजली, पानी और स्वच्छता जैसे सभी संकेतकों में अत्यधिक गरीबी के स्तर अधिक पाए गए हैं।

भारत में अत्यधिक गरीबी का सामना करने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है, जहां 1.4 अरब की आबादी में से 23.4 करोड़ लोग गरीबी में हैं। इसके बाद पाकिस्तान, इथियोपिया, नाइजीरिया और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य का स्थान है। ये पांच देश मिलकर दुनिया के 1.1 अरब गरीब लोगों में लगभग आधे का प्रतिनिधित्व करते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, 112 देशों और 6.3 अरब लोगों पर किए गए शोध में पाया गया कि 1.1 अरब लोग घोर गरीबी में जी रहे हैं, जिनमें से 455 मिलियन लोग संघर्ष की छाया में जीवनयापन कर रहे हैं। यूएनडीपी के प्रमुख अचिम स्टाइनर ने कहा, “हाल के वर्षों में संघर्ष तीव्र हो गए हैं, जिनके परिणामस्वरूप रिकॉर्ड संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं और जीवन और आजीविका पर व्यापक प्रभाव पड़ा है।”

रिपोर्ट के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु के लगभग 58.4 करोड़ बच्चे अत्यधिक गरीबी का सामना कर रहे हैं, जो दुनिया भर के बच्चों का 27.9 प्रतिशत है, जबकि वयस्कों में यह आंकड़ा 13.5 प्रतिशत है। संघर्ष प्रभावित देशों में बाल मृत्यु दर 8 प्रतिशत है, जबकि शांतिपूर्ण देशों में यह केवल 1.1 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के सबसे गरीब 83.2 प्रतिशत लोग उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में रहते हैं।

इस सूचकांक में अफगानिस्तान पर एक गहन अध्ययन भी शामिल है, जिसमें पाया गया कि 2015-16 और 2022-23 के बीच 53 लाख लोग गरीबी में चले गए। पिछले साल, अफगानिस्तान में लगभग दो-तिहाई लोग गरीब माने गए। यूएनडीपी की मुख्य सांख्यिकीविद यांचुन झांग ने कहा, “संघर्ष प्रभावित देशों के गरीब लोगों के लिए बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति एक और भी कठिन और हताशाजनक लड़ाई है।”

ओपीएचआई की निदेशक सबीना अल्कायर ने कहा, “संघर्ष क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन की गति धीमी है, इसलिए इन क्षेत्रों में रहने वाले गरीब लोग पीछे छूट रहे हैं। इन आंकड़ों को देखकर यह स्पष्ट है कि शांति में निवेश किए बिना हम गरीबी को समाप्त नहीं कर सकते।”

 

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!