कनाडा को जवाब देने के लिए भारत के पास मौका, कभी नहीं भूल पाएंगे जस्टिन ट्रूडो!

प्रधानमंत्री मोदी और जस्टिन ट्रूडो

पिछले एक साल से कनाडा भारत के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहा है. कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के हालिया बयान से दोनों देशों के रिश्तों के बीच तनाव ने नया रूप ले लिया है. खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा के बयान पर भारत ने भी सख्त एक्शन लेते हुए उसके 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया. भारत के इस रुख से लग रहा है कि अब उसने कनाडा को सबक सिखाने की ठान ली है.

भारत और कनाडा के बीच के बाइलेटरल ट्रेड की बात करें तो करीब 67 हजार करोड़ रुपए का है, जिसमें भारत बढ़े पैमाने पर कनाडा को कई चीजें एक्सपोर्ट करता है. इस तकरार में कारोबार तो दांव पर है ही, लेकिन भारत एक और तरीके से कनाडा को सबक सिखा सकता है. दरअसल, अगले साल G7 का 51 वां समिट कनाडा में होने जा रहा है. G7 देशों के साथ-साथ इसमें कई और मेहमान देश भी हिस्सा लेने वाले हैं जिसमें भारत भी शामिल है.

G7 समिट का कर सकता है भारत बहिष्कार?

अगले साल होने वाले G7 की अध्यक्षता कनाडा के हाथ में होगी. G7 देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन शामिल है. लेकिन हर साल इसकी बैठक में कई दूसरे देशों को आमंत्रित किया जाता है. पिछले साल इटली में हुए 50 वें सम्मेलन में भारत को भी आमंत्रित किया गया था, जहां भारत के पीएम मोदी का इटली पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने गर्मजोशी से स्वागत किया था.

अगले साल कनाडा में होने वाले G7 समिट का बहिष्कार कर भारत कनाडा को सबक सिखा सकता है. ट्रूडो के बयान के बाद आई विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया से तो यही लग रहा है कि भारत कनाडा के खिलाफ कोई सख्त कदम उठा सकता है.

ट्रूडो ने क्या आरोप लगाए?

ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड मामले में बोलते हुए कहा, हम यह लड़ाई नहीं चाहते, लेकिन जाहिर है कि कनाडा की धरती पर एक कनाडाई की हत्या ऐसी चीज नहीं है जिसे हम एक देश के रूप में नजरअंदाज कर सकें.

ट्रूडो ने कहा, हमारे पास साफ और ठोस सबूत है. भारत सरकार के एजेंट सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों में लगे हुए हैं. उन्होंने आगे कहा, RCMP ने सबूत साझा करने के लिए भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की, जिसमें ये निष्कर्ष निकाला गया कि भारत सरकार के 6 एजेंट आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं.

इसके बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों का खारिज कर दिया और बेतुका बताया है. MEA ने कहा, प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो राजनीतिक एजेंडे के चलते इस तरह के निराधार आरोप लगाकर भारत की छवि को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं.

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