यूपी उपचुनाव: संजय निषाद के साथ क्या बीजेपी ने कर दिया ‘खेला’, पहले हाथ से निकला विधायक अब सीट पर भी खतरा

यूपी उपचुनाव: संजय निषाद के साथ क्या बीजेपी ने कर दिया ‘खेला’, पहले हाथ से निकला विधायक अब सीट पर भी खतरा

उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर बीजेपी ने अपना ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है. उपचुनाव को लेकर दिल्ली में रविवार को बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के साथ यूपी नेताओं की अहम बैठक हुई. इस दौरान ये फॉर्मूला तय किया गया कि 9 सीट पर बीजेपी खुद चुनाव लड़ेगी और एक सीट आरएलडी के खाते में जाएगी. निषाद पार्टी के कब्जे वाली मझवां सीट पर भी बीजेपी ने अपना कैंडिडेट उतारने का प्लान बनाया है. इस तरह निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद के साथ उपचुनाव में बीजेपी ने सियासी ‘खेला’ कर दिया.

उपचुनाव में संजय निषाद दो सीटें मांग रहे थे, जिसमें एक सीट मझवां और दूसरी कटेहरी थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन में रहते हुए निषाद पार्टी ने इन दोनों ही सीटों पर चुनाव लड़ा था. मझवां जीत पर निषाद पार्टी के विधायक भी चुने गए थे, जो 2024 में बीजेपी के टिकट पर भदोही से चुनाव लड़कर सांसद चुने गए हैं. इसीलिए निषाद पार्टी दो सीटों पर चुनाव लड़ने की उम्मीद लगाए हुए थी.

अब सीट पर मंडरा रहा खतरा

संजय निषाद ने शनिवार को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से मुलाकात की थी. निषाद पार्टी की ओर से कटेहरी और मझवां सीट की मांग की जा रही थी. संजय निषाद का तर्क दिया जा रहा था कि 2022 विधानसभा चुनाव में दोनों सीटें गठबंधन में उनकी पार्टी को मिली थी. ऐसे में गठबंधन धर्म का पालन करते हुए बीजेपी को उपचुनाव में यह दोनों सीटें निषाद पार्टी को देनी चाहिए. ऐसे में बीजेपी ने संजय निषाद की दो सीटों वाली मांग को पूरी तरह से खारिज कर दिया है.निषाद पार्टी के हाथ से पहले विधायक निकला और अब सीट पर खतरा मंडरा रहा.

मीरापुर सीट छोड़ने का निर्णय

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में हुई उच्चस्तरीय बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह शामिल हुए थे. इस दौरान बैठक में मीरापुर सीट आरएलडी के लिए छोड़ने का निर्णय भी किया गया है. यह सीट पहले भी आरएलडी के पास ही थी, लेकिन निषाद पार्टी को उपचुनाव लड़ने के लिए कोई सीट नहीं मिलेगी. निषाद पार्टी के कब्जे वाली सीट पर भी बीजेपी अपना उम्मीदवार उतारेगी. भूपेंद्र चौधरी और उपमुख्यमंत्री मौर्य को निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद के साथ बातचीत करने का जिम्मा सौंपा गया है.

BJP के फार्मूले पर रजामंद होंगे निषाद

मिर्जापुर की मझवां विधानसभा सीट से निषाद पार्टी के विधायक विनोद कुमार बिंद को बीजेपी ने अपने साथ मिलाकर 2024 में भदोही लोकसभा सीट से मैदान में उतारा था. विनोद कुमार बिंद बीजेपी से सांसद बनने में कामयाब रहे हैं. अब मझवां विधानसभा सीट को उपचुनाव में निषाद पार्टी को न देकर बीजेपी ने वहां से अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी की है. अब देखना है कि योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद क्या बीजेपी के फार्मूले पर रजामंद होते हैं या नहीं. हालांकि, उन्हें साधने का जिम्मा बीजेपी ने अपने बड़े नेताओं को दिया है.

सियासी रिस्क नहीं लेना चाहती BJP

बीजेपी ने उपचुनाव में जिस तरह आरएलडी को उसके कब्जे वाली मीरापुर सीट मिली है, उस तरह निषाद पार्टी की मझवां में उपचुनाव लड़ने की उम्मीदें पूरी नहीं होती दिख रहीं. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को देखते हुए फैसला लिया है. 2024 में निषाद पार्टी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा. निषाद पार्टी मुखिया डॉ संजय निषाद के बेटे प्रवीण कुमार निषाद संतकबीर नगर सीट से नहीं जीत सके जबकि निषाद बहुल सीट थी. इसीलिए बीजेपी आगामी उपचुनाव में कोई सियासी रिस्क नहीं लेना चाहती.

हर में उपचुनाव जीतना चाहती है पार्टी

यूपी उपचुनाव को 2027 का सेमीफाइनल माना जा रहा, जिसके चलते बीजेपी हर हाल में चुनावी जंग जीतना चाहती है. यही वजह है कि बीजेपी ने मझवां विधानसभा सीट निषाद पार्टी को न देकर अपना प्रत्याशी उतारने की रूपरेखा बनाई है. निषाद पार्टी के मुखिया डॉ संजय निषाद अब केंद्रीय अमित शाह से मुलाकात कर अपनी बात रखेंगे. ऐसे में देखना है कि संजय निषाद उपचुनाव में अब बीजेपी की शर्तों को मंजूर करते हैं या फिर एनडीए से अलग रास्ता तलाशेंगे?

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