नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने पुणे में विश्व गुरु भारत विषय पर बोलते हुए अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि भारत परोपकार के लिए तैयार है. विश्व को एक गुरु की जरूरत है. भारत वो गुरु बन सकता है. सभी सोचते हैं कि भारत को विश्व गुरु होना चाहिए. दुनिया कुछ सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ रही है. सुविधाओं और सेवाओं में इजाफा हुआ है. मगर, चारों ओर शांति नहीं है.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया के कई देशों के बीच युद्ध हो रहे हैं. प्रदूषण बढ़ रहा है. जब बारिश की उम्मीद होती है, बारिश नहीं होती. जब बारिश होती है तो नुकसान हो जाता है. दुनिया को एक गुरु की जरूरत है और भारत वह गुरु हो सकता है. भारत परोपकार के लिए तैयार है.
दूसरों के ईश्वर का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए
उन्होंने कहा कि हमें दूसरों के ईश्वर का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए. हमें दुनिया में सभी के साथ सद्भाव से रहना चाहिए. संविधान के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना के साथ-साथ नागरिकों के अधिकारों को भी नहीं बदला जा सकता. वहीं, हिंदू सेवा महोत्सव की शुरुआत के मौके पर उन्होंने कहा कि अक्सर भारत को अल्पसंख्यकों के मुद्दों का समाधान करने की सलाह दी जाती है लेकिन अब हम देख रहे हैं कि दूसरे देशों में अल्पसंख्यक किस स्थिति का सामना कर रहे हैं.
भारत को विश्व शांति के बारे में सलाह दी जा रही
मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में शांति के बारे में बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं. भारत को भी विश्व शांति के बारे में सलाह दी जा रही है. मगर, युद्ध भी नहीं रुक रहे हैं. मानव धर्म सभी धर्मों का शाश्वत धर्म है, जो विश्व धर्म है. इसे हिंदू धर्म भी कहते हैं. दुनिया इसको भूल गई है. उनका धर्म एक ही है लेकिन वे भूल गए.
हम अपनी विरासत और प्राचीन ज्ञान को भूल गए
उन्होंने कहा कि भारतीयों के सेवा भाव का प्रदर्शन न करने से लोगों ने ये धारणा बना ली है कि हम कुछ नहीं कर सकते. अंग्रेजों ने जब हम पर शासन किया तो उन्होंने हमें सिखाया. हम वही चीजें सीख रहे हैं. बाहर से एक के बाद एक लोग आए और हमें हराकर शासन किया. उनकी आज्ञा का पालन करना हमारा चरित्र बन गया. हम अपनी विरासत और प्राचीन ज्ञान को भूल गए.