नई दिल्ली: भारत में शहरी क्षेत्र के दो में से एक पैरंट्स का कहना है कि उनके बच्चे सोशल मीडिया, ओटीटी और ऑनलाइन गेमिंग प्लैटफॉर्म के आदी हैं। इस कारण उनका स्वभाव प्रभावित हो रहा है। वे आक्रामक हो रहे हैं। उनमें धैर्य की कमी देखी जा रही है। इतना ही नहीं, उनकी जीवनशैली सुस्त हो रही है। लोकल सर्कल्स के सर्वे में 47% शहरी भारतीय माता-पिता का कहना है कि उनके बच्चे हर दिन औसतन 3 घंटे या उससे अधिक सोशल मीडिया, विडियो/ओटीटी और ऑनलाइन गेम्स जैसी गतिविधियों में बिताते हैं। इनमें से अधिकांश लोग मानते हैं कि उनके बच्चे सोशल मीडिया, विडियो या ऑनलाइन गेमिंग आदि के आदी हैं। 66% लोग चाहते हैं कि डेटा संरक्षण कानून यह सुनिश्चित करे कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए, जब वे सोशल मीडिया, ओटीटी/विडियो और ऑनलाइन गेमिंग प्लैटफॉर्म से जुड़ते हैं तो पैरंटल कंट्रोल अनिवार्य किया जाए। माता-पिता की सहमति मांगी जाए। कई लोग चाहते हैं कि अगर 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे ऐसे प्लैटफॉर्मों से जुड़ते हैं तो सरकार आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से माता-पिता की सहमति अनिवार्य करे।
1. औसतन 47% पैरंट्स का कहना है कि 9-17 आयु वर्ग के उनके बच्चे सोशल मीडिया, विडियो/ओटीटी और ऑनलाइन गेम्स में हर दिन औसतन तीन घंटे या उससे अधिक समय बिताते हैं।
- 10% पैरंट्स ने कहा कि इस उम्र में उनके बच्चों ने इंटरनेट पर 6 घंटे से ज्यादा समय बिताए।
- 37% लोगों ने कहा कि 3-6 घंटे बिताए। 39% लोगों ने कहा कि 1-3 घंटे बिताए।
- 9% ने कहा कि एक घंटे तक बिताए।
- 5% ने कहा कि उनके बच्चे सोशल मीडिया, विडियो/ओटीटी और ऑनलाइन गेम पर मुश्किल से ही समय बिता रहे हैं।
- (13,285 लोगों ने सर्वे में जवाब दिया)
2. सर्वेक्षण में शामिल 66% पैरंट्स चाहते हैं कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर पैरंटल कंट्रोल चाहिए।
- 66% ने कहा हां, माता-पिता की सहमति जरूरी।
- 20% ने कहा- नहीं, बिना सहमति के सोशल मीडिया यूज करने के लिए न्यूनतम आयु 15 वर्ष होनी चाहिए।
- 4% उत्तरदाताओं ने कहा, सहमति के बिना सोशल मीडिया यूज करने की न्यूनतम आयु 13 साल बरकरार रखी जानी चाहिए।
- 10% उत्तरदाताओं ने स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी।
- (13,174 पैरंट्स ने जवाब दिया)