हरियाणा विधानसभा चुनाव तय करेगा यूपी में सपा-कांग्रेस का गठबंधन, जानिए कहां फंसा है पेच

 

लखनऊ: हरियाणा में विधानसभा चुनाव अगले महीने होने हैं। यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर भी उसके बाद उपचुनाव होंगे। कांग्रेस यहां होने वाले चुनावों में सपा के साथ मिलकर लड़ना चाह रही है, जबकि सपा चाहती है कि उसे भी कुछ सीटें हरियाणा में मिलें। बस इसी पर सीटों के बंटवारे की बात अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पा रही है। इस बीच हरियाणा कांग्रेस नेताओं की बैठक कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने बुलाई है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस बैठक के बाद यूपी में होने वाले सीटों के बंटवारे का भी रास्ता साफ हो जाएगा।सूत्रों के मुताबिक, यूपी में सपा और कांग्रेस नेताओं के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत शुरू हो चुकी है, लेकिन कोई रास्ता निकलता नहीं दिख रहा है। वजह है कि कांग्रेस अभी यह साफ नहीं कर पा रही है कि वह सपा को हरियाणा और महाराष्ट्र में कितनी सीटें देगी? सपा दोनों जगहों पर पांच-पांच सीटें चाहती है, जबकि बीते दिनों हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने सपा को सीटें देने की बात पर साफ इनकार कर दिया था। वहां के नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि हमसे हमारे नेतृत्व ने सभी सीटों पर तैयारी के लिए कहा है, सीट बंटवारे पर कोई बात नहीं हुई है, लेकिन अब जबकि यूपी में सीटों का बंटवारा फंसता दिख रहा है, तो हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की बैठक अहम हो गई है।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कांग्रेस नेतृत्व हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को इस बात के लिए राजी करेगा कि वे कुछ सीटें सपा को दें और महाराष्ट्र चुनाव की घोषणा के बाद वहां की स्थिति देखी जाएगी। संभव है कि यूपी के विधानसभा सीटों पर उपचुनाव महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ ही हों, लिहाजा इससे पहले यूपी में भी सीटों के बंटवारे पर अंतिम मुहर लगानी होगी। सूत्र बताते हैं कि अगले एक-दो दिन में ही हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की दिल्ली में बैठक होनी है। इसके बाद स्थितियां साफ हो जाएंगी।

ट्रैक रेकॉर्ड ही बाधक!

सपा और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे में असल दिक्कत पार्टियों के पिछले प्रदर्शन को आधार बनाने के बाद हो रही है। लोकसभा चुनावों में भी साल 2014 को आधार बनाकर बातचीत करने की कोशिश हुई थी, जिसके बाद बात बिगड़ने लगी थी। सूत्र बताते हैं कि इस बार भी साल 2012 के बाद के चुनावों को लेकर बातचीत हो रही है। 2012 में सपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी, जबकि साल 2017 के चुनावों में उसे काफी नुकसान हुआ था। हालांकि, 2022 में सपा ने अपना प्रदर्शन सुधारा था। वहीं, कांग्रेस की बात करें तो साल 2012 में उसके पास 28 विधायक थे, जबकि साल 2017 में सात और 2022 में दो। सीटों के मोल-तोल में असल दिक्कत यही महसूस की जा रही है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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